Mental Health and Women: Coping with Stress and Anxiety.

महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य और तनाव व चिंता से निपटने के तरीके
डॉ. कुमारी शिल्पा द्वारा सुझावित, मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी, सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ, परिवार और काम का दबाव — ये सब महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। कई बार महिलाएं अपनी भावनाओं और तनाव को नज़रअंदाज़ कर देती हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। तनाव (Stress) और चिंता (Anxiety) धीरे-धीरे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है।

🧠 महिलाओं में मानसिक तनाव के सामान्य कारण

  • काम और परिवार में संतुलन की चुनौती
    महिलाएं अक्सर घर और करियर दोनों को संभालने की कोशिश करती हैं। इस दोहरी ज़िम्मेदारी के कारण मानसिक दबाव बढ़ता है।
  • हार्मोनल बदलाव
    मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसव और रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान शरीर में हार्मोन बदलते हैं, जो मूड और भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
  • समाजिक दबाव और अपेक्षाएँ
    “अच्छी बहू, अच्छी माँ, अच्छी पत्नी” जैसी सामाजिक परिभाषाएँ महिलाओं पर अतिरिक्त भावनात्मक बोझ डालती हैं।
  • आर्थिक अस्थिरता या आत्मनिर्भरता की कमी
    आर्थिक चिंता मानसिक तनाव को और बढ़ा देती है। कई महिलाएं अपनी स्वतंत्रता के संघर्ष में भावनात्मक रूप से थक जाती हैं।

🚨 तनाव और चिंता के लक्षण पहचानना ज़रूरी है

  • नींद न आना या बहुत ज़्यादा सोना
  • मन उदास रहना या बार-बार रोने का मन करना
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • भूख कम या ज़्यादा लगना
  • दिल की धड़कन तेज़ होना, सांस लेने में परेशानी
  • बार-बार डरने या चिंता करने की भावना
  • रिश्तों से दूर रहने की प्रवृत्ति

ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें तो यह संकेत हो सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

🔄 महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य का संबंध

मानसिक तनाव केवल भावनाओं तक सीमित नहीं रहता। यह शरीर पर भी असर डालता है —

  • हार्मोनल असंतुलन बढ़ता है
  • मासिक धर्म अनियमित हो सकता है
  • थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होती है
  • दिल और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएं शुरू हो सकती हैं

✅ तनाव और चिंता से निपटने के उपाय (डॉ. कुमारी शिल्पा की सलाह)

  1. स्वयं के लिए समय निकालें
    हर दिन कुछ मिनट ध्यान (Meditation), योग या मनपसंद गतिविधि में लगाएं। यह मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  2. खुलकर बात करें
    भरोसेमंद व्यक्ति से अपनी भावनाएं साझा करें। कई बार बात करने से मन हल्का हो जाता है और समाधान मिल जाता है।
  3. संतुलित आहार लें
    पौष्टिक भोजन जैसे मौसमी फल, सब्जियां, साबुत अनाज और पर्याप्त जल का सेवन करें। मानसिक स्वास्थ्य का संबंध आहार से भी होता है।
  4. नींद को प्राथमिकता दें
    रोज़ाना 7–8 घंटे की नींद मानसिक पुनर्निर्माण के लिए बेहद ज़रूरी है। मोबाइल या स्क्रीन समय को सोने से पहले सीमित करें।
  5. डॉक्टर या काउंसलर की मदद लें
    अगर तनाव या चिंता लंबे समय तक बनी रहे, तो विशेषज्ञ से सलाह लें। मनोचिकित्सक या स्त्री रोग विशेषज्ञ सही दिशा में मदद कर सकते हैं।
  6. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं
    रोज़ाना कम से कम 30 मिनट पैदल चलना या हल्का व्यायाम एंडोर्फिन बढ़ाता है, जो मूड को बेहतर करते हैं।

📍 दरभंगा में मानसिक स्वास्थ्य का समाधान कहाँ लें?

मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा में डॉ. कुमारी शिल्पा, एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ, महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में विशेष मार्गदर्शन देती हैं। यहाँ तनाव और चिंता की जाँच, काउंसलिंग, आहार सुझाव और उपचार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

📞 अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें:
📱 +91 92791 37033
📍 तारा होटल वाली गली, अयाची नगर, बेंता, दरभंगा

💬 निष्कर्ष
महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य उनके जीवन की नींव है। अगर तनाव और चिंता को समय पर पहचाना और संभाला जाए, तो न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। अपने मन की सुनें, खुद को प्राथमिकता दें और विशेषज्ञ की सलाह लेने में हिचकिचाएँ नहीं — क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल ही असली आत्म-संरक्षण है।

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