Priya’s Story: How Infertility Was Treated Successfully in Bihar.

प्रिया की कहानी: कैसे बिहार में बांझपन का सफलतापूर्वक इलाज हुआ

बच्चे की किलकारियां हर दंपति के जीवन में खुशियों की एक नई रोशनी लाती हैं। लेकिन जब संतान सुख में कोई बाधा आती है, तो यह मानसिक और भावनात्मक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसी ही एक कहानी है प्रिया और अमित की, जो बिहार के रहने वाले हैं और कई सालों तक बांझपन की समस्या से जूझने के बाद आखिरकार माता-पिता बनने का सपना पूरा कर सके।

शादी के बाद संतान सुख में देरी – चिंता और समाज का दबाव

प्रिया और अमित की शादी को 5 साल हो चुके थे, लेकिन गर्भधारण में समस्या आ रही थी।

  • शुरू में, उन्होंने सोचा कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, लेकिन दो साल तक लगातार कोशिश के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली।
  • धीरे-धीरे परिवार और समाज का दबाव बढ़ने लगा।
  • आसपास के लोग और रिश्तेदार सवाल करने लगे – “अभी तक कोई खुशखबरी क्यों नहीं?”
  • प्रिया मानसिक रूप से तनाव में रहने लगी और यह तनाव उनके वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करने लगा।

डॉक्टर से सलाह लेने का फैसला

जब स्थिति बिगड़ने लगी, तो प्रिय और अमित ने एक गायनेकोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) से मिलने का फैसला किया।
डॉक्टर ने कई टेस्ट कराए, जिनमें यह सामने आया कि –
✅ प्रिय को PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) था, जिससे अंडाणु सही तरीके से विकसित नहीं हो रहे थे।
✅ अमित के शुक्राणु की संख्या थोड़ी कम थी।

डॉक्टर ने बताया कि यह कोई असाध्य समस्या नहीं है, लेकिन सही इलाज और धैर्य की जरूरत है।

इलाज की शुरुआत और पहला कदम

डॉक्टर ने शुरुआत में हार्मोनल ट्रीटमेंट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह दी –
✔️ प्रिया को स्वस्थ खान-पान अपनाने को कहा गया।
✔️ रोज़ाना हल्का व्यायाम और वज़न को संतुलित रखने की सलाह दी गई।
✔️ कुछ दवाएं दी गईं, जिससे अंडाणु का विकास ठीक से हो सके।
✔️ अमित को संतुलित आहार और धूम्रपान/शराब से बचने की सलाह दी गई, ताकि शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार हो।

पहला इलाज असफल – लेकिन हार नहीं मानी!

  • 6 महीने तक इस ट्रीटमेंट को अपनाने के बाद प्रिया को नेचुरल तरीके से गर्भधारण की कोशिश करने के लिए कहा गया।
  • लेकिन जब कोई सफलता नहीं मिली, तो डॉक्टर ने IUI (Intrauterine Insemination) की सलाह दी।
  • प्रिया और अमित ने डॉक्टर की सलाह मानी और IUI का पहला प्रयास किया, लेकिन यह असफल रहा।

यह एक कठिन दौर था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

IVF से मिली नई उम्मीद

IUI असफल होने के बाद, डॉक्टर ने उन्हें IVF (In Vitro Fertilization) की सलाह दी।
➡️ IVF के दौरान, प्रिय के अंडाणु को निकालकर लैब में अमित के शुक्राणु से निषेचित किया गया।
➡️ कुछ दिनों बाद, सबसे स्वस्थ भ्रूण को प्रिय के गर्भाशय में प्रत्यारोपित (implant) किया गया।
➡️ दो हफ्ते बाद जब गर्भधारण की पुष्टि हुई, तो प्रिय और अमित की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

9 महीने बाद खुशियों की किलकारियां गूंजी!

प्रिया ने सकारात्मक सोच, डॉक्टर की देखभाल और सही ट्रीटमेंट के साथ इस सफर को पूरा किया।
➡️ 9 महीने बाद, उन्होंने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया।
➡️ वह पल उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।
➡️ वर्षों की मेहनत और धैर्य के बाद, आखिरकार उनकी गोद भर गई।

प्रिया और अमित का संदेश – “बांझपन का इलाज संभव है!”

प्रिया और अमित मानते हैं कि –
❤️ बांझपन कोई दुर्भाग्य नहीं, बल्कि एक मेडिकल कंडीशन है जिसका इलाज संभव है।
❤️ समय पर डॉक्टर से सलाह लें और सही इलाज कराएं।
❤️ धैर्य बनाए रखें और उम्मीद ना छोड़ें।

अगर आप भी बांझपन से जूझ रहे हैं, तो घबराएं नहीं। दरभंगा में मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल में आधुनिक तकनीक से इलाज उपलब्ध है। डॉ. कुमारी शिल्पा और उनकी टीम यहां आपकी मदद के लिए तैयार हैं।

📞 अपॉइंटमेंट के लिए कॉल करें: +91 92791 37033
📍 क्लिनिक का पता: तारा होटल वाली गली में, अयाची नगर, बेंता , दरभंगा

“हर समस्या का समाधान है – बस सही दिशा में पहला कदम बढ़ाना जरूरी है!”

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