How to Manage High Blood Pressure During Pregnancy.

गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर को कैसे संभालें
डॉ. कुमारी शिल्पा द्वारा सुझावित, मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा

गर्भावस्था हर महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। इस समय शरीर में हार्मोनल और शारीरिक बदलाव होते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। उन्हीं में से एक है हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) या उच्च रक्तचाप। अगर इसे समय पर नियंत्रित न किया जाए, तो यह माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

💓 गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है?

गर्भवती महिला के शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है ताकि बच्चे तक पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण पहुँच सके। जब ब्लड प्रेशर सामान्य से अधिक (140/90 mmHg या उससे ऊपर) रहने लगे, तो इसे “हाई ब्लड प्रेशर” कहा जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर के दो प्रमुख प्रकार देखे जाते हैं —

  • गेस्टेशनल हाईपरटेंशन (Gestational Hypertension): जो केवल गर्भावस्था के दौरान होता है और डिलीवरी के बाद सामान्य हो जाता है।
  • प्रिएक्लेम्पसिया (Preeclampsia): इसमें रक्तचाप के साथ-साथ शरीर में सूजन और पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है।

🚨 गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर के कारण

  • परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास
  • पहली बार गर्भधारण
  • ट्विन या मल्टीपल प्रेग्नेंसी
  • अधिक वजन या मोटापा
  • असंतुलित आहार और शारीरिक निष्क्रियता
  • तनाव और नींद की कमी
  • गर्भावस्था से पहले हाई ब्लड प्रेशर का होना

🩺 संभावित लक्षण जिन्हें अनदेखा न करें

  • सिरदर्द या चक्कर आना
  • चेहरे, हाथों और पैरों में सूजन
  • धुंधली दृष्टि या आँखों के आगे धब्बे दिखना
  • अचानक वजन बढ़ना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • पेट में दर्द या मिचली

अगर इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

🔄 हाई ब्लड प्रेशर का गर्भ और बच्चे पर असर

असामयिक डिलीवरी, बच्चे का कम वजन, प्लेसेंटा का कम रक्त प्रवाह, और कभी-कभी आपातकालीन सिजेरियन की आवश्यकता जैसी स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं। प्रिएक्लेम्पसिया की स्थिति में माँ को दौरे (seizures) या अंगों को नुकसान होने का खतरा भी रहता है।

✅ गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के उपाय (डॉ. कुमारी शिल्पा की सलाह)

  1. नियमित ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग करें
    हर गर्भावस्था जांच के दौरान और घर पर भी ब्लड प्रेशर नापें। अगर रीडिंग लगातार बढ़ी हुई रहे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
  2. संतुलित और हल्का आहार लें
    नमक का सेवन कम करें। फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, और प्रोटीनयुक्त आहार जैसे मूंग, दालें, और अंडे शामिल करें। ज़्यादा तेल या तले हुए खाद्य पदार्थ न खाएँ।
  3. तनाव कम करें और मन को शांत रखें
    हल्का योग, ध्यान या प्रेग्नेंसी मेडिटेशन करें। संगीत सुनना या टहलना मन और शरीर को संतुलित रखता है।
  4. आराम और नींद पर ध्यान दें
    पर्याप्त नींद लेना ज़रूरी है। सोते समय बाईं करवट लेटें ताकि रक्त प्रवाह बेहतर बना रहे।
  5. पर्याप्त पानी पिएं और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें
    दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी लें और डॉक्टर की सलाह अनुसार हल्की एक्सरसाइज़ करें।
  6. डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का पालन करें
    हाई ब्लड प्रेशर के लिए स्वयं दवा न लें। गर्भावस्था में केवल वही दवा लें जो डॉक्टर ने निर्धारित की हो।
  7. नियमित जांच करवाएं
    ब्लड शुगर, पेशाब टेस्ट, और अल्ट्रासाउंड जैसी जांच समय-समय पर करवाएँ ताकि माँ और बच्चे की स्थिति पर नज़र रखी जा सके।

📍 दरभंगा में गर्भावस्था संबंधी हाई ब्लड प्रेशर का सही उपचार कहाँ लें?

मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा में डॉ. कुमारी शिल्पा गर्भवती महिलाओं के लिए उच्च रक्तचाप और संबंधित जटिलताओं पर विशेष परामर्श और उपचार प्रदान करती हैं। अस्पताल में नियमित जांच, काउंसलिंग और सुरक्षित डिलीवरी की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

📞 अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें:
📱 +91 92791 37033
📍 तारा होटल वाली गली, अयाची नगर, बेंता, दरभंगा

💬 निष्कर्ष
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर को अनदेखा नहीं करना चाहिए। समय पर जांच, सही आहार, उचित आराम और विशेषज्ञ सलाह से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे की नींव है – इसलिए अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और नियमित चिकित्सा परामर्श लेते रहें।

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