Coping with Seasonal Hormonal Changes.

मौसमी हार्मोनल बदलाव और उनसे निपटने के सरल उपाय
डॉ. कुमारी शिल्पा द्वारा सुझावित, मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा

हर मौसम के साथ केवल तापमान ही नहीं बदलता, बल्कि शरीर के भीतर भी कई परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों में सबसे महत्वपूर्ण हैं — हार्मोनल बदलाव। खासतौर पर महिलाओं में ये बदलाव मूड, ऊर्जा, नींद, और मासिक धर्म चक्र (Menstrual Cycle) को भी प्रभावित कर सकते हैं। सर्दी के मौसम में थकान और उदासी, गर्मी में चिड़चिड़ापन या बारिश के समय नींद की गड़बड़ी — ये सब मौसमी हार्मोनल उतार-चढ़ाव का परिणाम हो सकते हैं।

🌤️ मौसमी हार्मोनल बदलाव क्यों होते हैं?

हमारे शरीर का हार्मोनल सिस्टम बाहरी वातावरण के साथ तालमेल बनाता है। मौसम के बदलने पर सूर्य की रोशनी, तापमान और दिन की लंबाई में बदलाव से मेलाटोनिनसेरोटोनिनथायरॉइड, और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोनों का स्तर प्रभावित होता है।

  • सर्दियों में धूप की कमी से सेरोटोनिन का स्तर घटता है, जिससे मूड डाउन या डिप्रेशन जैसा महसूस होता है।
  • गर्म मौसम में अत्यधिक पसीना और डीहाइड्रेशन कोर्टिसोल (Stress Hormone) बढ़ाता है, जिससे चिड़चिड़ापन और थकान होती है।
  • मानसून में उमस और संक्रमण की अधिकता शरीर के अंदर सूजन और हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकती है।

🌸 महिलाओं पर इन बदलावों का असर

महिलाओं का शरीर हार्मोनल रूप से ज्यादा संवेदनशील होता है, इसलिए मौसम का प्रभाव अधिक दिखाई देता है।

  • मासिक धर्म चक्र में अनियमितता
  • मूड स्विंग्स और नींद की समस्या
  • त्वचा और बालों में बदलाव (ड्रायनेस या ऑयलिनेस)
  • शरीर में सूजन, थकान या दर्द की शिकायतें
  • काम में ध्यान न लगना और ऊर्जा में कमी

🚨 मौसमी हार्मोनल असंतुलन के संकेत

  • अचानक वजन बढ़ना या घटना
  • चेहरे पर मुंहासे या त्वचा में खुश्की
  • बार-बार थकान महसूस होना
  • चिंता, बेचैनी या उदासी
  • ठंड या गर्मी के प्रति संवेदनशीलता
  • नींद का पैटर्न बदलना

इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि ये शरीर के अंदर हार्मोनल गड़बड़ी का प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं।

✅ मौसमी हार्मोनल बदलाव से निपटने के उपाय (डॉ. कुमारी शिल्पा की सलाह)

  1. संतुलित आहार लें
    हर मौसम में ताज़े और स्थानीय फल-सब्जियाँ खाएं।
    • सर्दियों में — पालक, गाजर, चुकंदर, तिल, गुड़
    • गर्मियों में — खीरा, तरबूज, छाछ, नींबू पानी
    • बारिश में — हल्का, घर का बना खाना और हर्बल चाय
  2. धूप से दोस्ती करें
    रोज़ाना सुबह कम से कम 15–20 मिनट धूप लें। यह विटामिन D बढ़ाने के साथ मूड को भी सकारात्मक रखती है।
  3. योग और ध्यान का अभ्यास करें
    योगासन जैसे भुजंगासन, सर्वांगासन और प्राणायाम हार्मोनों को संतुलित करने में मदद करते हैं।
  4. पर्याप्त नींद लें
    सोने और उठने का समय तय रखें। नींद के पैटर्न में स्थिरता लाने से मेलाटोनिन संतुलित रहता है।
  5. हाइड्रेशन बनाए रखें
    हर मौसम में पर्याप्त पानी पीना जरूरी है। डिहाइड्रेशन हार्मोनल गड़बड़ी का एक बड़ा कारण है।
  6. तनाव कम करें
    तनाव सीधे एस्ट्रोजन और कोर्टिसोल स्तर को प्रभावित करता है। किताब पढ़ना, म्यूज़िक सुनना या प्रकृति के बीच समय बिताना इससे राहत देता है।
  7. नियमित जाँच कराएं
    अगर लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो ब्लड टेस्ट (Thyroid Profile, Hormone Levels) कराएं और विशेषज्ञ की मदद लें।

📍 दरभंगा में हार्मोनल असंतुलन का उपचार कहाँ लें?

मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा में डॉ. कुमारी शिल्पा, एक अनुभवी स्त्री रोग एवं हार्मोनल हेल्थ विशेषज्ञ, मौसमी हार्मोनल बदलाव से जुड़ी समस्याओं का समग्र निदान और उपचार करती हैं। यहाँ लेबोरेटरी जाँच, आहार परामर्श और हार्मोन बैलेंसिंग काउंसलिंग की आधुनिक सुविधा उपलब्ध है।

📞 अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें:
📱 +91 92791 37033
📍 तारा होटल वाली गली, अयाची नगर, बेंता, दरभंगा

💬 निष्कर्ष
मौसमी हार्मोनल बदलाव स्वाभाविक हैं, लेकिन जब इनका असर दैनिक जीवन या मूड पर ज़्यादा महसूस होने लगे, तो समझिए कि शरीर मदद मांग रहा है। सही आहार, पर्याप्त आराम, सकारात्मक सोच और विशेषज्ञ मार्गदर्शन से हर मौसम को सहज और स्वस्थ बनाया जा सकता है। हार्मोन संतुलन ही सच्चा स्वास्थ्य संतुलन है — इसलिए शरीर के संकेतों को समझें, नज़रअंदाज़ न करें और खुद को प्राथमिकता दें।

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