How to Manage Perimenopause Symptoms Naturally.

पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों को प्राकृतिक तरीके से कैसे संभालें
डॉ. कुमारी शिल्पा द्वारा सुझावित, मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा

हर महिला के जीवन में 40 की उम्र के आसपास एक ऐसा दौर आता है जो धीरे-धीरे रजोनिवृत्ति (Menopause) की ओर बढ़ता है। इस संक्रमणकाल को ही पेरिमेनोपॉज़ (Perimenopause) कहा जाता है। यह कोई बीमारी नहीं बल्कि जीवन का प्राकृतिक चरण है, जिसमें शरीर में हार्मोनों — खासकर Estrogen और Progesterone — में उतार‑चढ़ाव होता है। इस कारण कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन महसूस होते हैं।

अच्छी बात यह है कि इन लक्षणों को प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। आइए, जानते हैं कि पेरिमेनोपॉज़ को संतुलित और स्वस्थ ढंग से कैसे संभाला जाए।

🌼 पेरिमेनोपॉज़ के सामान्य लक्षण

  • मासिक धर्म का अनियमित होना
  • रात में पसीना आना या अचानक गर्मी का अहसास (Hot Flashes)
  • नींद की कमी
  • थकान और मूड स्विंग्स
  • वजन बढ़ना
  • त्वचा और बालों में सूखापन
  • यौन इच्छा में कमी या दर्द महसूस होना

इन लक्षणों की तीव्रता हर महिला में अलग होती है, लेकिन यदि सही जीवनशैली और आहार अपनाया जाए तो इन्हें काफी हद तक कम किया जा सकता है।

🌿 प्राकृतिक उपाय जो राहत देते हैं

1. संतुलित आहार सबसे पहला कदम है
शरीर को इस समय संतुलित और पोषक आहार की जरूरत होती है।

  • अपने आहार में फाइटो‑एस्ट्रोजेन (Phytoestrogen) से भरपूर चीज़ें शामिल करें — जैसे सोयाबीन, अलसी के बीज, तिल और चना।
  • हरी पत्तेदार सब्जियां, विटामिन E‑युक्त नट्स और आयरन से भरपूर फल (अनार, गुड़, चुकंदर) ज़रूर लें।
  • कैफीन, अत्यधिक चीनी और फास्ट फूड से दूरी बनाएं।

2. व्यायाम और योग से संतुलन पाएं
नियमित व्यायाम शरीर के साथ मन को भी शांत करता है।

  • हर दिन 30 मिनट पैदल चलें या हल्का योग करें।
  • Pranayama से हार्मोन संतुलन और नींद में सुधार होता है।
  • Surya Namaskar और Setu Bandhasana जैसे योगासन हॉट फ्लैशेज को नियंत्रित करने में मददगार हैं।

3. नींद को प्राथमिकता दें
पेरिमेनोपॉज़ के दौरान नींद न आना आम बात है, लेकिन यह शरीर के संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

  • शाम को हल्का भोजन करें।
  • सोने से पहले Chamomile Tea या हल्का गुनगुना दूध लाभकारी होता है।
  • मोबाइल और स्क्रीन से थोड़ा दूर रहकर ध्यान या सुकूनभरी संगीत सुनें।

4. तनाव को कम करें
तनाव से हार्मोनों का असंतुलन बढ़ता है।

  • रोज कुछ मिनट ध्यान या गहरी साँस की क्रियाएं करें।
  • परिवार या दोस्तों से बातें करने से मन हल्का होता है।
  • हर सप्ताह अपने लिए “मी‑टाइम” ज़रूर निकालें — अपनी पसंद का संगीत, बागवानी या किताब का आनंद लें।

5. हर्बल उपचारों का सहारा लें (डॉक्टर की सलाह से)
कई प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों में मदद कर सकती हैं।

  • Ashwagandha तनाव को नियंत्रित करती है और नींद बेहतर बनाती है।
  • Shatavari स्त्री हार्मोन को संतुलित करती है और हॉट फ्लैशेज को कम करती है।
  • Black Cohosh और Red Clover पश्चिमी देशों में प्राकृतिक हार्मोन सपोर्ट के रूप में उपयोग की जाती हैं।
    किसी भी हर्बल सप्लिमेंट से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।

6. हाइड्रेशन और त्वचा की देखभाल
शरीर के सूखेपन को कम करने के लिए खूब पानी पिएं। नारियल पानी, हर्बल इनफ्यूज़न और छाछ फायदेमंद हैं। त्वचा के लिए विटामिन E और हायल्यूरॉनिक एसिड युक्त क्रीम का उपयोग करें।

7. यौन स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ न करें
पेरिमेनोपॉज़ के दौरान यौन जीवन में बदलाव सामान्य है। खुलकर अपने पार्टनर से बात करें और स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। आधुनिक समाधान जैसे Vaginal Moisturizers या Laser Therapy सुरक्षित और प्रभावी हैं।

📍 दरभंगा में पेरिमेनोपॉज़ संबंधित देखभाल कहाँ लें?
मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा में डॉ. कुमारी शिल्पा महिलाओं को पेरिमेनोपॉज़ और रजोनिवृत्ति के दौरान समग्र सलाह, ब्लड जांच, हार्मोन उपचार और प्राकृतिक चिकित्सा की सुविधा प्रदान करती हैं। यहाँ आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का सुंदर संयोजन उपलब्ध है।

📞 अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें:
📱 +91 92791 37033
📍 तारा होटल वाली गली, अयाची नगर, बेंता, दरभंगा

💬 निष्कर्ष
पेरिमेनोपॉज़ जीवन का एक स्वाभाविक चरण है, डरने की नहीं — समझने और संभालने की प्रक्रिया है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनावमुक्त जीवन और विशेषज्ञ की सलाह से महिला इस दौर को आरामदायक और सकारात्मक अनुभव में बदल सकती है। याद रखें, आपका शरीर बदल रहा है, लेकिन आप अब भी उतनी ही मजबूत और सुंदर हैं जितनी हमेशा से थीं।

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