महिलाओं में बेहतर स्वास्थ्य के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस कैसे बनाएँ
डॉ. कुमारी शिल्पा द्वारा सुझावित, मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा
आज की आधुनिक जीवनशैली में महिलाएं कई भूमिकाएँ निभा रही हैं — घर की ज़िम्मेदारियाँ, करियर की चुनौतियाँ और सामाजिक दायित्व। इस सबके बीच “वर्क-लाइफ बैलेंस” यानी काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस असंतुलन का असर सीधा उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में यह समझना ज़रूरी है कि कैसे महिलाएं अपने जीवन में संतुलन लाकर बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाली पा सकती हैं।
💼 वर्क-लाइफ असंतुलन क्यों होता है?
- समय की कमी और ज़रूरत से ज़्यादा अपेक्षाएँ
कामकाजी महिलाएं अक्सर पेशेवर जीवन और परिवार दोनों में “परफेक्ट” होने का दबाव महसूस करती हैं, जिससे थकान और तनाव बढ़ता है। - तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता
वर्क फ्रॉम होम या मोबाइल नोटिफिकेशन कभी-कभी मानसिक शांति को भंग करते हैं, क्योंकि “ऑफिस” और “घर” की सीमाएँ धुंधली हो जाती हैं। - स्वयं के लिए समय की कमी
परिवार, काम और समाज के बीच महिलाएं खुद को भूल जाती हैं। यह “सेल्फ-केयर” की कमी धीरे-धीरे शारीरिक थकावट और भावनात्मक अस्थिरता में बदल जाती है। - समर्थन प्रणाली की कमी
पारिवारिक, वैवाहिक या कार्यस्थल पर सहयोग की कमी महिलाओं पर अतिरिक्त बोझ डालती है।
🌿 वर्क-लाइफ असंतुलन के स्वास्थ्य पर प्रभाव
- मानसिक थकान और तनाव — लगातार काम का दबाव और आराम की कमी से चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
- नींद में अनियमितता — देर रात तक काम या स्क्रीन टाइम नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
- हार्मोनल असंतुलन — तनाव का सीधा असर महिलाओं के हार्मोन पर पड़ता है, जिससे मासिक धर्म अनियमित हो सकता है।
- रक्तचाप और हार्ट डिज़ीज़ का खतरा — लगातार तनाव से हृदय संबंधी बीमारियाँ बढ़ने लगती हैं।
- पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में दूरी — समय न निकाल पाने से परिवार और दोस्तों से जुड़ाव कम हो जाता है।
✅ वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए डॉ. कुमारी शिल्पा की सलाह
- समय का सही प्रबंधन करें
रोज़मर्रा के कामों की प्राथमिकता तय करें। “ज़रूरी” और “कम ज़रूरी” कार्यों में अंतर समझें। इससे मानसिक बोझ कम होता है। - ना कहना सीखें
हर अनुरोध को मानना ज़रूरी नहीं। अपनी सीमाओं को समझें और उन कार्यों से इंकार करें जो अनावश्यक तनाव लाते हैं। - सेल्फ-केयर को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं
चाहे 15 मिनट ही क्यों न हों, अपने लिए समय निकालें — योग, संगीत, पढ़ना या टहलना मानसिक शांति देता है। - परिवार से खुलकर बात करें
अपने काम और दबाव के बारे में परिवार से चर्चा करें ताकि वे सहयोग कर सकें। एक सहायक माहौल वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। - डिजिटल डिटॉक्स अपनाएँ
काम खत्म होने के बाद मोबाइल या लैपटॉप से दूरी बनाएं। अपने दिमाग को “आराम मोड” में लाने के लिए तकनीक से ब्रेक लें। - शारीरिक गतिविधि बढ़ाएँ
हल्की एक्सरसाइज़, वॉकिंग या योग से एंडोर्फिन स्तर बढ़ता है, जिससे तनाव और थकान कम होती है। - नींद और आहार पर ध्यान दें
पर्याप्त नींद और संतुलित भोजन शरीर और मन दोनों के लिए रीचार्जिंग का काम करते हैं। जंक फूड या अधिक कैफीन से बचें।
📍 दरभंगा में वर्क-लाइफ असंतुलन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए कहाँ जाएँ?
मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा में डॉ. कुमारी शिल्पा, एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ, महिलाओं को तनाव, थकान और लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं के लिए सही परामर्श और उपचार देती हैं। यहाँ पर शारीरिक जांच के साथ-साथ आहार और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी काउंसलिंग भी उपलब्ध है।
📞 अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें:
📱 +91 92791 37033
📍 तारा होटल वाली गली, अयाची नगर, बेंता, दरभंगा
💬 निष्कर्ष
वर्क-लाइफ बैलेंस कोई विलासिता नहीं, बल्कि हर महिला के स्वास्थ्य की नींव है। अगर महिलाएं अपने लिए थोड़ा समय निकालें, सीमाएँ तय करें और अपनी ज़रूरतों को प्राथमिकता दें, तो वे न केवल बेहतर स्वास्थ्य पा सकती हैं, बल्कि जीवन में संतुलित और खुशहाल रह सकती हैं। याद रखें — ख़ुद का ख्याल रखना स्वार्थ नहीं, बल्कि अपनी शक्ति को बनाए रखने का तरीका है।


