गर्भावस्था में संतुलित आहार का महत्व और मातृ स्वास्थ्य में इसकी भूमिका
डॉ. कुमारी शिल्पा द्वारा सुझावित, मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा
मां बनना हर महिला के जीवन का सबसे अनमोल अनुभव होता है। इस दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन और बढ़ते शिशु की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संतुलित आहार का सेवन अत्यंत आवश्यक है। गर्भावस्था के नौ महीनों में महिला का शरीर शारीरिक, मानसिक और हार्मोनल रूप से कई बदलावों से गुज़रता है, और ऐसे में पौष्टिक एवं संतुलित आहार (Balanced Diet) उसकी और शिशु की सेहत की नींव बनता है।
🌿 संतुलित आहार आखिर क्या है?
संतुलित आहार का अर्थ है — ऐसा भोजन जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में हों, जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज और फाइबर। गर्भवती महिला के लिए यह न केवल ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि बच्चे के विकास और शारीरिक वृद्धि के लिए भी अत्यंत ज़रूरी है।
🍎 गर्भावस्था के दौरान आहार में किन तत्वों की आवश्यकता होती है
- प्रोटीन (Protein)
यह बच्चे के ऊतकों, मांसपेशियों और अंगों के विकास में मदद करता है। आहार में दाल, अंडे, दूध, दही, पनीर, सोया और मछली शामिल करें। - आयरन (Iron)
गर्भवती महिला को अधिक मात्रा में खून बनाने के लिए आयरन की ज़रूरत होती है। पालक, चुकंदर, अनार, गुड़ और मूंग दाल का सेवन करें। - कैल्शियम (Calcium)
बच्चे की हड्डियों और दांतों के विकास के लिए कैल्शियम आवश्यक है। दूध, दही, तिल, बादाम और पनीर को आहार में शामिल करें। - फोलेट और फोलिक एसिड (Folic Acid)
यह बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास में मदद करता है, साथ ही जन्म दोषों से बचाव करता है। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, संतरे और दालें इसके अच्छे स्रोत हैं। - विटामिन D और B12
ये ऊर्जा उत्पादन, हड्डियों की मजबूती और नर्वस सिस्टम के लिए ज़रूरी हैं। इन्हें अंडे, दूध, सूरज की रोशनी और फोर्टिफाइड अनाज से प्राप्त किया जा सकता है।
🥗 गर्भावस्था में संतुलित आहार के लाभ
- शिशु के विकास में सहायता
बेहतर पोषण बच्चे की सही लंबाई, वजन और मस्तिष्क विकास में मदद करता है। - मां की ऊर्जा और प्रतिरक्षा में वृद्धि
संतुलित आहार गर्भवती महिला को थकान, कमजोरी और संक्रमण से बचाता है। - जटिलताओं से बचाव
एनिमिया, हाई ब्लड प्रेशर और गर्भावधि मधुमेह जैसी समस्याओं के खतरे को कम करता है। - संतुलित वजन वृद्धि
उचित आहार से अत्यधिक या अपर्याप्त वजन बढ़ने जैसी समस्याएं नहीं होतीं। - प्रसव के बाद शीघ्र रिकवरी
गर्भावस्था के दौरान लिए गए पोषक तत्व प्रसव के बाद शरीर को जल्दी स्वस्थ होने में मदद करते हैं।
🚫 क्या नहीं खाना चाहिए?
- अधिक तली-भुनी और मसालेदार चीज़ें
- अधपका मांस या मछली
- अत्यधिक कैफीन और सॉफ्ट ड्रिंक्स
- डिब्बाबंद या अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड
- बिना धोए फल-सब्जियाँ
इनसे संक्रमण या पाचन संबंधी समस्या हो सकती है और बच्चे के विकास पर भी असर पड़ सकता है।
✅ डॉ. कुमारी शिल्पा की सलाह — गर्भवती महिलाओं के लिए आहार संबंधी सावधानियाँ
- छोटे अंतराल में भोजन करें
दिन में तीन बड़े भोजन के बजाय 5–6 छोटे, पौष्टिक मील लें ताकि ऊर्जा बनी रहे और उल्टी या गैस की समस्या कम हो। - पर्याप्त पानी पिएँ
रोज़ कम से कम 8–10 गिलास पानी पीना ज़रूरी है ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और कब्ज जैसी समस्या से बचाव हो। - आयरन और कैल्शियम सप्लिमेंट्स डॉक्टर की सलाह से लें
खुद से दवाइयाँ लेना नुकसानदायक हो सकता है; हमेशा चिकित्सकीय निगरानी में ही लें। - ताज़ा और घर का बना भोजन अपनाएँ
बाहर का खाना संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है। घर का ताजा पकवान अधिक सुरक्षित और पोषक होता है।
📍 दरभंगा में गर्भावस्था संबंधी पोषण परामर्श कहाँ लें?
मातृका हेरिटेज हॉस्पिटल, दरभंगा में डॉ. कुमारी शिल्पा, एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ और मातृ स्वास्थ्य विशेषज्ञ, गर्भावस्था के दौरान सही आहार, नियमित जांच और व्यक्तिगत ज़रूरतों के अनुसार सुझाव प्रदान करती हैं।
📞 अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें:
📱 +91 92791 37033
📍 तारा होटल वाली गली, अयाची नगर, बेंता, दरभंगा
💬 निष्कर्ष
संतुलित आहार गर्भवती महिला की सेहत ही नहीं, बल्कि शिशु के स्वस्थ और सुरक्षित विकास की कुंजी है। सही पोषण से न केवल गर्भावस्था सहज बनती है, बल्कि प्रसव के बाद भी मां की रिकवरी तेज़ होती है। इसलिए हर होने वाली मां को अपने भोजन में संतुलन, विविधता और पौष्टिकता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
